भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"दीपक–एक / प्रदीप मिश्र" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(' {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=प्रदीप मिश्र |संग्रह= }} {{KKCatKavita}} <poem> ''...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

18:56, 2 जनवरी 2016 के समय का अवतरण

दीपक-एक

मिट्टी धरती से
कपास खेतों से
तेल श्रमिकों से
और आग सूर्य से ली उधार
मनुष्यों ने बनाया दीपक
जिसके जलते ही
घोर अंधकार में भी
जगमगाने लगी पृथ्वी
लो हो गयी दिवाली।