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"दीपक–दो / प्रदीप मिश्र" के अवतरणों में अंतर

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18:56, 2 जनवरी 2016 के समय का अवतरण

दीपक-दो

न जाने कौन सी धुन है
जो जलाए रखती है इसको
जलता रहता है
अँधेरे के खिलाफ
अँधेरा जिसके भय से सूरज भी डूब जाता है
लेकिन दीपक है कि
जलता ही रहता है
और भोर हो जाती है।