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"मैं रोना चाहता हूँ ख़ूब रोना चाहता हूँ मैं / फ़रहत एहसास" के अवतरणों में अंतर

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मेरे सारे बदन पर दूरियों की ख़ाक बिखरी है
 
मेरे सारे बदन पर दूरियों की ख़ाक बिखरी है
तुम्हारे साथ मिल कर ख़ुद को धोना चाहता हूँ
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तुम्हारे साथ मिल कर ख़ुद को धोना चाहता हूँ मैं
 
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11:03, 3 जनवरी 2016 के समय का अवतरण

मैं रोना चाहता हूँ ख़ूब रोना चाहता हूँ मैं
और उस के बाद गहरी नींद सोना चाहता हूँ मैं

तेरे होंटों के सहरा में तेरी आँखों के जंगल में
जो अब तक पा चुका हूँ उस को खोना चाहता हूँ मैं

ये कच्ची मिट्टीयों को ढेर अपने चाक पर रख ले
तेरी रफ़्तार का हम-रक़्स होना चाहता हूँ मैं

तेरा साहिल नज़र आने से पहले इस समंदर में
हवस के सब सफ़ीनों को डुबोना चाहता हूँ मैं

कभी तो फ़स्ल आएगी जहाँ में मेरे होने की
तेरी ख़ाक-ए-बदन में ख़ुद को बोना चाहता हूँ मैं

मेरे सारे बदन पर दूरियों की ख़ाक बिखरी है
तुम्हारे साथ मिल कर ख़ुद को धोना चाहता हूँ मैं