भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"गोठ बिछनी / यात्री" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=यात्री |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatMaithiliRachn...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

18:13, 13 जनवरी 2016 के समय का अवतरण

बीछि रहल छैं बंगोइठा तों
घूमि घामि कएँ बाध-बोनमे
पथिआ नेने भेल फिरई छैं
तिनू खूट, चारिओ कोनमे
मैल पुरान पचहथ्थी नूआ
सेहो फाटल चेफड़ी लागल
देहक रङ जमुनिआ, तइपर
मुँह माइक गोटीसँ दागल

बगड़ा जेना लगाबाए खोंता
तेहने रुच्छ केस छउ तोहर
दू छर हारी मात्र गराँमे
केहने विचित्र भेस छउ तोहर

माघक ठार, रौद बैसाखक
तोरा लेखे बड़नी' धन सन
दीन बालिके अजगुत लागए
केहेन कठिन छउ तोहर जीवन

कने ठाढ़ी हो, सुन कहने जो
नाम की थिकउ, कतए रहइ छैं
बीतभरिक भए कोन बेगतें
एते कष्ट आ दुक्ख सहई छैं