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शाद था जब दिल वह था और ही ज़माना ईद का ।का।अब तो यक्साँ यक्सां है हमें आना न जाना ईद का ।।का॥
दिल का ख़ून खू़न होता है जब आता है अपना हमको याद ।याद।आधी-आधी रात तक मेंहदी लगाना ईद का ।।का।
होंठ जब होते थे लाल, अब आँखें आंखें हो जाती हैं सुर्ख़ ।सुर्ख।याद आता है जो हमको पान खाना ईद का ।।का।
दिल के हो जाते हैं टुकड़े जिस घड़ी आता है याद ।याद।ईदगाह तक दिलबरों के साथ जाना ईद का ।।का।
अब तो यूँ यूं छुपते हैं जैसे तीर से भागे कोई ।कोई।तब बने फिरते थे ोि हम आप ही निशाना ईद का ।।का।
नींद आती थी न हरगिज़हरगिज, भूक लगती थी ज़रा ।ज़रा।यह ख़ुशी खुशी होती थी जब होता था आना ईद का ।। का।
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