भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
हिज्जे
दिल मेरा जिस से बहलता कोई ऐसा न मिला<br>
बुत के बन्दे बंदे तो मिले अल्लाह का बन्दा बंदा न मिला<br><br>
बज़्म-ए-यारां याराँ से फिरी बाद-ए-बहारी मायूस<br>
एक सर भी उसे आमादा-ए-सौदा न मिला<br><br>
बज़्म-ए-यारांयाराँ=मित्रसभा; बाद-ए-बहारी=वासन्ती हवा; मायूस=निराश; आमादा-ए-सौदा=पागल होने को तैयार<br><br>
गुल के ख्व़ाहां ख्व़ाहाँ तो नज़र आए बहुत इत्रफ़रोश<br>
तालिब-ए-ज़मज़म-ए-बुलबुल-ए-शैदा न मिला<br><br>
ख्व़ाहांख्व़ाहाँ=चाहने वाले; इत्रफ़रोश=इत्र बेचने वाले;<br>
तालिब-ए-ज़मज़म-ए-बुलबुल-ए-शैदा=फूलों पर न्योछावर होने वाली बुलबुल के नग्मों का इच्छुक<br><br>
कर दिया काबे को गुम और कलीसा न मिला<br><br>
मुर्शाद=गुस्र्गुस्र; कलीसा=चर्च,गिरजाघर<br><br>
सय्यद उठे तो गज़ट ले के तो लाखों लाए<br>
Anonymous user