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फागुन तौ बालक विनोद हित अहै उजागर।
ज्यों ज्यों होली निकट होत अधिकात अधिक तर॥
सजत पिच्चुका अरु पिचकारी तथा रचत रंग।
नर नारिन पैं ताहि चलावत बालक गन संग॥
गावत और बजावत बीतत समय सबै तब।
भाँति भाँति के स्वाँग बनावत मिलि बालक सब॥
हँसी दिल्लगी गाली रंग गुलाल उड़त भल।
देवर भौजाइन के मध्य सहित बहु छल बल॥