भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"वो जब अपनी ख़बर दे है / गौतम राजरिशी" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
पंक्ति 2: पंक्ति 2:
 
{{KKRachna
 
{{KKRachna
 
|रचनाकार=गौतम राजरिशी
 
|रचनाकार=गौतम राजरिशी
|संग्रह=  
+
|संग्रह=पाल ले इक रोग नादाँ / गौतम राजरिशी
 
}}
 
}}
 
{{KKCatGhazal}}
 
{{KKCatGhazal}}
पंक्ति 27: पंक्ति 27:
 
ग़ज़ल जब से हुनर दे है
 
ग़ज़ल जब से हुनर दे है
  
{द्विमासिक आधारशिला, जनवरी-फरवरी 2009}  
+
{द्विमासिक आधारशिला, जनवरी-फरवरी 2009}
</poem>
+

20:38, 11 फ़रवरी 2016 का अवतरण

वो जब अपनी ख़बर दे है
जहाँ भर का असर दे है

चुराकर कौन सूरज से
ये चंदा को नज़र दे है

है मेरी प्यास का रूतबा
जो दरिया में लहर दे है

कहाँ है जख़्म ओ मालिक
यहाँ मरहम किधर दे है

रगों में गश्त कुछ दिन से
कोई आठों पहर दे है

ज़रा-सा मुस्कुरा कर वो
नई मुझको उमर दे है

रदीफ़ो-काफ़िया निखरे
ग़ज़ल जब से हुनर दे है

{द्विमासिक आधारशिला, जनवरी-फरवरी 2009}