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"कुछ कसैली-सी मखमली बातें / गौतम राजरिशी" के अवतरणों में अंतर

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(लफ़्ज़ सितम्बर-नवम्बर 2011, गुफ़्तगू अप्रैल-जून 2013)
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(समावर्तन जुलाई 2014 "रेखांकित", गुफ़्तगू अप्रैल-जून 2013)

19:42, 26 फ़रवरी 2016 के समय का अवतरण

कुछ कसैली-सी मखमली बातें
फिर सियासत की हैं चली बातें

करवटें साँप लेते हैं अंदर
और ऊपर से संदली बातें

कर गयीं मेरे शह्र को घायल
सरफ़िरी और बावली बातें

बात से बात जब निकलती हैं
फिर मचाती हैं खलबली बातें

मैंने तो बस तुम्हें बताया था
कैसे पहुँची गली-गली बातें

रूह तक भी सुलग उठे अपनी
हाय, उनकी ये दिलजली बातें

लब थे ख़ामोश फिर भी होती रहीं
शोख आँखों से मनचली बातें




(समावर्तन जुलाई 2014 "रेखांकित", गुफ़्तगू अप्रैल-जून 2013)