भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"प्रस्ताव अनुमोदित हुआ / गौतम राजरिशी" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=गौतम राजरिशी |संग्रह=पाल ले इक रो...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

19:57, 26 फ़रवरी 2016 के समय का अवतरण

प्रस्ताव अनुमोदित हुआ
अब मामला लंबित हुआ

सब कह दिया आँखों ने जब
तो मन ज़रा हर्षित हुआ

जिन कदमों से रस्ता खुला
उन के लिये वर्जित हुआ

हर फैसला टलता गया
जब-जब दिवस निश्‍चित हुआ

जब मिट गये सारे सबूत
अपराध फिर साबित हुआ

पर्दे पे इक पैबन्द था
पूरा महल इंगित हुआ

इक नाम तेरा ज्यों जुड़ा
क़िस्सा मेरा चर्चित हुआ

है शब्द की मजलिस वहाँ
अक्षर यहाँ विस्मित हुआ




(लफ़्ज़, दिसम्बर-फरवरी 2011)