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"प्रणय / कुँवर दिनेश" के अवतरणों में अंतर

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1
प्रेम में राधा
भावना के बल से –
कृष्ण को बाँधा ।
2
प्यार में डूबा
आनन्द भी ,पीड़ा भी
मन अजूबा ।
3
तुम जो मिले
जीवन में फाल्गुन,
सुमन खिले ।
प्यार -24
हाथों में हाथ
जिजीविषा बढ़ाता
तुम्हारा साथ ।
5
बाहों में तुम
सारे संशय-भ्रम
हो गये गुम ।
6
छुपाऊँ कैसे
एहसास प्यार का
बताऊँ कैसे ।
7
मिलते कहीं
शहर है छोटी- सा
जगह नहीं ।
 
8
दर्द का रिश्ता
दिल ढूँढ़े जिसको
आये फ़रिश्ता ।
9
कशमकश
स्मृतियों में छलके
भावकलश ।
10
बोलते नैन
हम दोनों की चुप्पी
तोड़ते नैन ।
11
तन है कहीं
प्यार में पगलाया
मन है कहीं ।
12
प्रेम की माया
साथ रहते नहीं
मानस- काया ।
13
मन उचाट
आँखों -आँखों में अब
रात को काट ।
14
लग जा गले
फिर कोई भी भ्रान्ति
जी को न छले ।
15
चुप्प न रहो
प्रेम का नियम है-
कुछ तो कहो ।
16
कुछ भी बोलो
प्रेम का नियम है
मन से बोलो ।
17
दिल की कही
लगे बिल्कुल सही
प्यार है यही ।
18
जन्मों का नाता
दूर-दूर दिलों को
पास ले आता ।
19
बैठे हैं यूँ ही,
प्यार हुआ जब से,
ऐंठें हैं यूँ ही
20
लगती पूरी
गागर ये प्रेम की
फिर अधूरी ।
-0-