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"माँ कहती है / राजेश जोशी" के अवतरणों में अंतर
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23:53, 22 फ़रवरी 2008 का अवतरण
हम हर रात
पैर धोकर सोते है
करवट होकर।
छाती पर हाथ बाँधकर
चित्त
हम कभी नहीं सोते।
सोने से पहले
माँ
टुइयाँ के तकिये के नीचे
सरौता रख देती है
बिला नागा
माँ कहती है
डरावने सपने इससे
डर जाते है।
दिन भर
फिरकनी सी खटती
माँ
हमारे सपनों के लिए
कितनी चिन्तित है!