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"संवेदना / संवेदना / राहुल शिवाय" के अवतरणों में अंतर

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गीत के मोती हृदय के सीप मेॅ छै ,
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नै भावै छै रूपया पैसा,
हास-करुणा तेॅ हरेक टा गीत मेॅ छै,  
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नै भावै छै कपड़ा-लत्ता,
कविता की छै ? भावना छै, कल्पना छै |
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नै चाहै छी पायल-झुमका,
कविता के जननी तेॅ बस संवेदना छै |
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नै चाहै छी हम मनटिक्का,
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सबसेॅ बड़का ई जीवन मेॅ
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एतने टा छै बात हे बहिना |
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हमरोॅ तॅे सिन्दूरे गहना |
  
देखी केॅ सौंदर्य केॅ सौंसे जगत मेॅ,
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सैंया जी जे होलै विदेशी,  
जागै छै जे कामना, नर मेॅ, भगत मेॅ,
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होतै पैसा-कौड़ी बेसी,
कामना की ? कविता के ई प्रेरणा छै |
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मतुर ई जीवन छै केहनाॅे,
कविता के जननी तेॅ बस संवेदना छै |  
+
सोना लगतै छाउरोॅ जेहनाॅे,  
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हमरा विरहा के आगिन में
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जलना नै छै आबे बहिना |
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हमरोॅ तेॅ सिन्दूरे गहना |
  
जब कभी भी आँखोॅ सेॅ ऑंसू बहै छै,
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दोनाॅे गोटा घाॅेर चलैबै,
होठ कानी-कानी केॅ स्वर केॅ जनै छै ,
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बच्चा केॅ भी खूब पढैबै,  
कानना की ? कविता के ई वेदना छै |
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दिनभर हम्मू मेहनत करबै,
कविता के जननी तेॅ बस संवेदना छै |
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घरबा केॅ अन-धन सॅे भरबै,
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तोहीं बताबाॅे बिन मालिक के  
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लगतै की घरबा बहिना ?
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हमरोॅ तॅे सिन्दूरे गहना |
  
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रचनाकाल - 10 जून 2008
  
 
रचनाकाल- 10 मार्च 2010
 
  
 
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23:57, 12 मई 2016 का अवतरण

नै भावै छै रूपया पैसा,
नै भावै छै कपड़ा-लत्ता,
नै चाहै छी पायल-झुमका,
नै चाहै छी हम मनटिक्का,
सबसेॅ बड़का ई जीवन मेॅ
एतने टा छै बात हे बहिना |
हमरोॅ तॅे सिन्दूरे गहना |

सैंया जी जे होलै विदेशी,
होतै पैसा-कौड़ी बेसी,
मतुर ई जीवन छै केहनाॅे,
सोना लगतै छाउरोॅ जेहनाॅे,
हमरा विरहा के आगिन में
जलना नै छै आबे बहिना |
हमरोॅ तेॅ सिन्दूरे गहना |

दोनाॅे गोटा घाॅेर चलैबै,
बच्चा केॅ भी खूब पढैबै,
दिनभर हम्मू मेहनत करबै,
घरबा केॅ अन-धन सॅे भरबै,
तोहीं बताबाॅे बिन मालिक के
लगतै की ई घरबा बहिना ?
हमरोॅ तॅे सिन्दूरे गहना |

रचनाकाल - 10 जून 2008