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"जिनगी सगर छै / कुंदन अमिताभ" के अवतरणों में अंतर

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ऐ तरुण देश रोॅ भूलोॅ नै, छौं कठिन परीक्षा तोरोॅ
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जिनगी सगर छै जरा-जरा
देश विथा सें दूर कहाँ, भटकै छौं मन तोरोॅ
+
छै मौत जहाँ भी जरा-जरा।
ऊ दीप शिखा जे जललोॅ छै, दूर क्षितिज के कोना में।
+
हवा-हवा भलुक सोहानऽ हवा
ज्ञानदीप ऊ तोरोॅ छेकौं, दूरेॅ कैन्हेॅ रखलोॅ छौं
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द्वार मनऽ के खोल्हऽ जों जरा-जरा।
बूझै के पहिले पहुँचोॅ, तेज बहुत तेज तोंय दौड़ोॅ
+
सब दरबज्जा यहाऽ फिट्टे छै
भरतवंश के मान धरोहर, तोरे आस में धरलोॅ छौं
+
खटखटाभौ तेॅ सही जरा-जरा।
चाहत रहौं अधूरा नै, नै रहौं अधूरा सपना
+
मिटी जैथौं मंजिल के सब फासला
काँटोॅ- कूसोॅ जत्ते भी हुअेॅ, रूकौं नै पग तोरोॅ।
+
हौसला बुलन्द राखऽ जों जरा-जरा।
 
+
छै इंजोरऽ के आगू पथार लागलऽ
सात सुरोॅ में साथ बँधी केॅ, तार बीन के बजलोॅ छै
+
अंधियारा चीरऽ अगर जरा-जरा।
नागिन संग नागोॅ भी नाचै, कठिन घड़ी काल के एैलोॅ छै
+
चलथौं चाँन तारा भी संग तोरऽ
बीन बाज पर जे नै नाचै, ऊ बैठलोॅ छै नेठुआय
+
चलऽ राथौ केॅ जों जरा-जरा।
सीना तानी निडर ऊ बोलै, कहाँ लड़ै लेॅ के बचलोॅ छै
+
लगी जैथौं जिनगी के पार घाट
श्ब शहीद रोॅ सपना तोड़ी, छूछ्छे बजबै गाल वहीं
+
मझधार थाहऽ जों जरा-जरा।
हास-विलास छोड़ी के साथी, दिशा देश रोॅ मोड़ोॅ।
+
 
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देश समस्या सें जूझै छै, भूखोॅ सें जन-मन कानै छै
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ताल, तराई तलहट्टी में, लोगें थूकोॅ सें सत्तू सानै छै
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शहर-शहर में पैसा गाड़ी, वें झूठ्ठेॅ भाषण खूब बखानै छै
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पितमरूवोॅ छै लोग देश के, जे नै ओकरोॅ कब्बर खानै छै
+
नस-नस में लैकेॅ नया खून, जौं बढ़भेॅ तेॅ मंजिल मिलथौं         
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ेन्हां में ऐ तरुण देश रोॅ, खाली-खाली एक भरोसा तोरोॅ।
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गति काल रोॅ रोकोॅ तोंय, जंजीरोॅ केॅ झकझोरोॅ
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बंधन-बाधा आभौं जे रसता में, वै बंधन केॅ तोड़ोॅ
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जड़ छूबी लेनें छौं यै कीड़ा, राह कठिन नै थोड़ोॅ
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तूफानोॅ के ताकत लै चलिहोॅ, तनियो नै तोंय डरिहोॅ
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किरण आस तोरेह पर टिकलोॅ, जागोॅ होलै सबेरा।
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लेॅ कुदाल जड़ जंग उखाड़ोॅ, धरती तक ओकरा कोड़ोॅ
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08:29, 13 मई 2016 के समय का अवतरण

जिनगी सगर छै जरा-जरा
छै मौत जहाँ भी जरा-जरा।
हवा-हवा भलुक सोहानऽ हवा
द्वार मनऽ के खोल्हऽ जों जरा-जरा।
सब दरबज्जा यहाऽ फिट्टे छै
खटखटाभौ तेॅ सही जरा-जरा।
मिटी जैथौं मंजिल के सब फासला
हौसला बुलन्द राखऽ जों जरा-जरा।
छै इंजोरऽ के आगू पथार लागलऽ
अंधियारा चीरऽ अगर जरा-जरा।
चलथौं चाँन तारा भी संग तोरऽ
चलऽ राथौ केॅ जों जरा-जरा।
लगी जैथौं जिनगी के पार घाट
मझधार थाहऽ जों जरा-जरा।