भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"अन्हर तूफान सावधान हम किए रहू ? / धीरेन्द्र" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=धीरेन्द्र |संग्रह=करूणा भरल ई गीत...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
(कोई अंतर नहीं)
|
02:57, 23 मई 2016 के समय का अवतरण
अन्हर तूफान सावधान हम किए रहू ?
हम छी हवा कि आकाश छी हम,
छी धरती कि सृष्टिकेर विकास छी हम,
करेजक गप्प अपन किए कहू ??
कहै अछि लोक आएल बाढ़ि जोरक,
सुनल संसार आपाधारी आर होढ़क,
मोनक व्याथा-कथा हम किए कहू ??
लड़ब आ लड़बे सदा जानल अछि हम,
हो लोक वा कि भाग्य सदा रण ठानल अछि हम,
लहरि जँ सोर पाड़य किन्हेरेमे किए रहू ??
ई परिसर कि जकर छी हम बादशाह,
कि शाहंशाहे कलम छी हम,
आबओ कोनो रेड़ा तँ तैमे किए बहू ??