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Kavita Kosh से
सब सह जाता है: <br>
दिन, पर, छिन-- <br>
इन की झांझर में जीवन जीवन <br>
कहा अनकहा रह जाता है। <br>
बहू हो गई ओझल: <br>
तू बढ़ता कहाँ जाएगा? <br>
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(पेरियार केरल की एक नदी है जिसके किनारे कालडि में शंकराचार्य का जन्म हुआ था।)
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