"एक बारिश में उसके साथ भीगने का मन / प्रेमरंजन अनिमेष" के अवतरणों में अंतर
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23:39, 5 जून 2016 के समय का अवतरण
एक बारिश में उसके साथ भीगने का मन
उसकी बातों में कोई रात जागने का मन
उसके बालों को आगे ला के उसके कन्धों पर
अपने हाथों से हर धड़कन सहेजने का मन
महके फूलों को यूँ बिखरा के देह भर उसकी
अपने होंठों उसे हर फूल देखने का मन
हूँ मुहब्बत वहाँ जाऊँ जहाँ न जाए कोई
सिहरे तन में कहीं है मन को चूमने का मन
कबसे धरती को तकती हो गई है ख़ुद धरती
अब उठा कर उसे आकाश सौंपने का मन
पाँव रस्ते तो सारे नापते अकेले ही
थक के होता किसी के साथ लौटने का मन
किसी रिश्ते किसी नाते मिले कहाँ चाहत
प्यार रहकर ही कुछ उससे है माँगने का मन
अपने सोचे हुए कुछ नाम उसको देने का
नाम हर भूल कर उसको ही सोचने का मन
इसी मिट्टी में दब कर बीज सा उगूँ फिर से
इसी पानी में है सूरज सा डूबने का मन
जि़न्दगी साथ दे और साथी वो जिसे 'अनिमेष'
अपना सब कुछ हो अपने आप सौंपने का मन