भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"तू मुझे इतने प्यार से मत देख / अली सरदार जाफ़री" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(New page: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अली सरदार जाफ़री }} तू मुझे इतने प्यार से मत देख<br> तेरी प...)
 
पंक्ति 5: पंक्ति 5:
 
तू मुझे इतने प्यार से मत देख<br>
 
तू मुझे इतने प्यार से मत देख<br>
 
तेरी पलकों ने नर्म साये में<br>
 
तेरी पलकों ने नर्म साये में<br>
धूप भी चाँदनी सी लगती है<br>
+
धूप भी चांदनी सी लगती है<br>
 
और मुझे कितनी दूर जाना है<br>
 
और मुझे कितनी दूर जाना है<br>
 
रेत है गर्म, पाँव के छाले<br>
 
रेत है गर्म, पाँव के छाले<br>

18:52, 17 अप्रैल 2008 का अवतरण

तू मुझे इतने प्यार से मत देख
तेरी पलकों ने नर्म साये में
धूप भी चांदनी सी लगती है
और मुझे कितनी दूर जाना है
रेत है गर्म, पाँव के छाले
यूँ दमकते हैं जैसे अंगारे
प्यार की ये नज़र रहे, न रहे
कौन दश्त-ए-वफ़ा में जाता है
तेरे दिल को ख़बर रहे न रहे
तू मुझे इतने प्यार से मत देख