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"विनती / अमरेन्द्र" के अवतरणों में अंतर

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बनौं जगत के सूरज-चान
 
बनौं जगत के सूरज-चान
 
भारतमाय के राखौं शान ।
 
भारतमाय के राखौं शान ।
नानी सेॅ गुहार
 
नानी, नानी पानी दे
 
गंदा छौ तेॅ छानी दे ।
 
 
भोरे दूध पिलैलोॅ कर
 
राती लोरी गैलोॅ कर
 
हमरे साथ नहैलोॅ कर
 
हमरे साथें खैलोॅ कर
 
चूलो चोटी बान्ही दे
 
भात-दाल सब रान्ही दे ।
 
 
की बोलै छैं ? गिनती गिन
 
सुनथैं माथोॅ भिन-भिन भिन
 
खेलभौ, रात हुवेॅ कि दिन
 
की करभैं होय्ये आगिन
 
पुल्ली-डंडा लानी दे
 
ऐंगन्हैं खच्चो खानी दे ।
 
 
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08:12, 10 जून 2016 के समय का अवतरण

हे भगवान, हे भगवान
माँगौं तोरा सेॅ ई दान
पोथी पर सेॅ हटै नै ध्यान
सागर नाँखी उमड़ेॅ ज्ञान
गलत काम मेॅ पकड़ौं कान
बाबू-माय के राखौं मान
बनौं जगत के सूरज-चान
भारतमाय के राखौं शान ।