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"हम पात्र हैं किसी के / केदारनाथ अग्रवाल" के अवतरणों में अंतर
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10:20, 28 फ़रवरी 2008 का अवतरण
हम पात्र हैं किसी केरख दिए गए यहाँ--
ख़ाली,
कभी कुछ भरने के लिए;
कभी कुछ उँड़ेलने के लिए;
इच्छा के विरुद्ध बने
- और बन कर रखे रहने के लिए
न कुछ कहने के लिए :
न कुछ सुनने के लिए :
केवल काल के हाथ से टूट कर
बिखरने के लिए ।