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झूठ नै कहै छियौं / वसुंधरा कुमारी
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04:51, 14 जून 2016
|रचनाकार= वसुंधरा कुमारी
|अनुवादक=
|संग्रह=
सच-सच
}}
{{KKCatAngikaRachna}}
वहा बंसविटटी
चैवटिया पर बुढ़वा बोर गाछ
आरो
उ$
ऊ
गाछी के नीचे
सनसनैतेॅ हनहनैतेॅ हवा केॅ
आकाश सेॅ पानी रं बरसतेॅ धूप केॅ
Rahul Shivay
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