"जहाज / पाब्लो नेरूदा" के अवतरणों में अंतर
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22:02, 30 जून 2016 के समय का अवतरण
हम पहले ही
किराया चुका कर आये हैं इस दुनिया में
तब क्यों तुम हमें
बैठने और खाने नहीं देते ?
हम बादलों को देखना चाहते हैं,
हम धूप में नहाना चाहते हैं
और नमकीन हवा को सूंघना चाहते हैं
ईमानदारी से तुम यह नहीं कह सकते
कि हम दूसरों को सता रहे हैं,
यह बहुत आसान है, हम राहगीर हैं
हम सब यात्रा पर हैं और वक्त हमारा हमसफर है
समुद्र गुजरता है, गुलाब के फूल अंतिम विदा कहते हैं
अंधकार और रोशनी के नीचे पृथ्वी गुजरती है
और तुम, हम सभी यात्री गुजरते हैं।
तब तुम्हें सताता है क्या
तुम क्यों इतने गुस्सैल हो
उस पिस्तौल को ताने हुए तुम किसे ताक रहे हो
हम नहीं जानते
कि सब कुछ लिया जा चुका है,
प्याले, कुर्सियां
बिस्तर, आईने
समुद्र, शराब और आसमान।
अब हमसे कहा गया है
कि कोई मेज नहीं है हमारे लिए शेष,
यह नहीं हो सकता, हम सोचते हैं।
तुम हमें आश्वस्त नहीं कर सकते।
तब अंधेरा था, जब हम इस जहाज पर पहुंचे,
हम निर्वस्त्र थे,
हम सभी एक ही जगह से आए थे,
हम सभी औरत और आदमी से आए थे,
हम सभी भूख से परिचित थे और तब हमारे दांत उगे,
काम के लिए हमारे हाथ उगे,
और आंखें यह जानने के लिए कि क्या हो रहा है।
और तुम नहीं कह सकते हमसे कि हम नहीं जानते,
कि यहां जहाज पर कोई कमरा नहीं है,
तुम हलो तक नहीं कहना चाहते,
तुम हमारे साथ नहीं खेलना चाहते।
तुम्हारे लिए इतनी सुविधाएं आखिर क्यों
पैदा होने से पहले ही किसने वह चम्मच तुम्हारे हाथों में सौंप दिए
तुम यहां खुश नहीं हो,
चीजें इस तरह ठीक नहीं होंगी।
मैं इस तरह की यात्रा पसंद नहीं करता
छुपी हुर्इ उदासी को कोनों में ढूंढने के लिए,
और आंखें जो कि प्यार से खाली हैं
और मुंह जो कि भूखे हैं।
इस पतझड़ के लिए कोई कपड़ा नहीं है
और अगले जाड़े के लिए खाक तक नहीं
और बिना जूतों के हम कैसे बढेंगे एक भी कदम
इस दुनिया में जहां कि ढेर सारे पत्थर रास्तों में हैं
बिना मेज के हम कहां खाना खायेंगे,
कहॉ बैठेंगे हम
जब कोई कुर्सी नही होगी
यदि यह एक अप्रिय मजाक है
तो फैसला करो भले आदमियो
यह सब जल्दी खतम हो ,
अब गंभीरता से बात करो ।
वर्ना इसके बाद समुद्र सख्त है
और बारिशें ख़ून की ।