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क़ातिल जब मसीहा है / शहनाज़ इमरानी
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02:32, 10 जुलाई 2016
तुम्हारे पास है सिर्फ़ दुआ
जो तुम रो कर, चीख़ कर
या हाथ
फ़ैला
फैला
कर करो
कोई भी कुछ नहीं कहेगा
</poem>
अनिल जनविजय
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