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"अब नहीं उगते कैक्टस में हाथ / जुगल परिहार" के अवतरणों में अंतर
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अब नहीं उगते कैक्टस में हाथ | अब नहीं उगते कैक्टस में हाथ | ||
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बचपन में मना करती थी | बचपन में मना करती थी | ||
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कहा करती थी माँ - | कहा करती थी माँ - | ||
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'मत मार बहन को | 'मत मार बहन को | ||
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पाप लगेगा रे, पाप | पाप लगेगा रे, पाप | ||
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देख, वह देख | देख, वह देख | ||
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वो काँटों वाला कैक्टस | वो काँटों वाला कैक्टस | ||
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उगा करत हैं उस में | उगा करत हैं उस में | ||
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पापी हाथ' | पापी हाथ' | ||
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बच्चे डरते थे तब | बच्चे डरते थे तब | ||
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लेकिन अब? | लेकिन अब? | ||
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अब तो डरता नहीं कोई भी | अब तो डरता नहीं कोई भी | ||
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हाँ, | हाँ, | ||
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अब नहीं उगते कैक्टस में हाथ | अब नहीं उगते कैक्टस में हाथ | ||
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अनुवादः नीरज दइया | अनुवादः नीरज दइया |
12:02, 12 मार्च 2008 का अवतरण
राजस्थानी कविता मूलः जुगल परिहार
अब नहीं उगते कैक्टस में हाथ
बचपन में मना करती थी
कहा करती थी माँ -
'मत मार बहन को
पाप लगेगा रे, पाप
देख, वह देख
वो काँटों वाला कैक्टस
उगा करत हैं उस में
पापी हाथ'
बच्चे डरते थे तब
लेकिन अब?
अब तो डरता नहीं कोई भी
हाँ,
उगते थे कभी, लेकिन
अब नहीं उगते कैक्टस में हाथ
अनुवादः नीरज दइया