भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"संकट में पड़लै हिन्दुस्तनमा/ अनिरुद्ध प्रसाद विमल" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Rahul Shivay (चर्चा | योगदान) ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अनिरुद्ध प्रसाद विमल |अनुवादक= |स...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
Rahul Shivay (चर्चा | योगदान) |
||
पंक्ति 8: | पंक्ति 8: | ||
<poem> | <poem> | ||
संकट में पड़लै हिन्दुस्तनमा | संकट में पड़लै हिन्दुस्तनमा | ||
− | + | हो तुलसी के रामा | |
− | + | सिंह मृग पियै छेलै एक्के घाट पानी हो | |
− | + | सकल खुशहाली छेलै तनियो नै बेमानी हो | |
− | + | जग में देल्हौ समता के दर्शनमा | |
− | + | हो तुलसी के रामा | |
− | + | धरमोॅ के राज गेलै, पापोॅ के राज ऐलै | |
भष्टाचार घूसखोरी भारतोॅ में बढ़ी गेलै | भष्टाचार घूसखोरी भारतोॅ में बढ़ी गेलै | ||
केना होतै भारत के निरमनमा | केना होतै भारत के निरमनमा | ||
हो तुलसी के रामा | हो तुलसी के रामा | ||
− | + | धोबी के कहला पर सीता केॅ त्यागी देल्हौ | |
पितृ वचन खातिर राजपाट छोड़ी देल्हौ | पितृ वचन खातिर राजपाट छोड़ी देल्हौ | ||
तनियो नै सुख पर देल्हौ धियनमा | तनियो नै सुख पर देल्हौ धियनमा | ||
− | + | हो तुलसी के रामा | |
− | + | जनम लै केॅ फेरु भगवान भारत में आबोॅ हो | |
− | + | सिंहासन लेॅ झगड़ा केॅ तोहीं मिटाबोॅ हो | |
− | + | ब्याकुल छै ‘विमल’ के परनामा | |
+ | हो तुलसी के रामा | ||
</poem> | </poem> |
22:40, 19 जुलाई 2016 के समय का अवतरण
संकट में पड़लै हिन्दुस्तनमा
हो तुलसी के रामा
सिंह मृग पियै छेलै एक्के घाट पानी हो
सकल खुशहाली छेलै तनियो नै बेमानी हो
जग में देल्हौ समता के दर्शनमा
हो तुलसी के रामा
धरमोॅ के राज गेलै, पापोॅ के राज ऐलै
भष्टाचार घूसखोरी भारतोॅ में बढ़ी गेलै
केना होतै भारत के निरमनमा
हो तुलसी के रामा
धोबी के कहला पर सीता केॅ त्यागी देल्हौ
पितृ वचन खातिर राजपाट छोड़ी देल्हौ
तनियो नै सुख पर देल्हौ धियनमा
हो तुलसी के रामा
जनम लै केॅ फेरु भगवान भारत में आबोॅ हो
सिंहासन लेॅ झगड़ा केॅ तोहीं मिटाबोॅ हो
ब्याकुल छै ‘विमल’ के परनामा
हो तुलसी के रामा