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जंगल के सिरे पर गूँजती है मुर्गे की बांग

नदी की धार अर्ध आलोकित

क्रोड़ में दुबका चिड़िया का बच्चा जग पड़ा है

मानुष छौने से सदृश्य दबी-दबी सी चहचहाट

रस घोल जाती है

वन प्रान्तर के अदेखे लोक में

ममत्व की

अनवरतता


दिग्दिगांतर आप्लावित