भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"तोरोॅ याद सहारा चिकोॅ / शंकरमोहन झा" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Rahul Shivay (चर्चा | योगदान) ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=शंकरमोहन झा |अनुवादक= }} {{KKCatAngikaRachna}} <poem>...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
(कोई अंतर नहीं)
|
05:35, 28 जुलाई 2016 के समय का अवतरण
तोरोॅ याद सहारा चिकोॅ
जीवन भरोॅ के पहाड़ा चिकोॅ ।
सुस्ती कखनू जौं आबे छै
मोनोॅ केॅ कखनू भरमाबे छै
दोसर दीस केॅ ध्यान करी कें
बाद मेॅ बड़ी ई पछताबै छै
जीवन सौंसे नद्दी भेलै
यैहेॅ कूल-कगारा चिकोॅ ।
जाँची परखी केॅ थकी गेलोॅ छीं
विश्वासोॅ सें भरी गेलोॅ छीं
तोरोॅ एक इशारा पर सब
आपद-विपद सही गेलोॅ छीं
तोरोॅ बिना बितैलोॅ दिन
धिपलोॅ एगो-अंगारा चिकोॅ ।
आगू-पीछू सोचि केॅ कहियोॅ
दिनेॅ रैतीं ठीक सें रहियोॅ
हमरोॅ भूल बेबाक करी केॅ
माथा परम चढ़ैले रहियोॅ
तोरोॅ बिना फुसफुसैलोॅ बेलुन
तोरोॅ संग गुब्बारा चिकोॅ ।