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"गुज़री है रात कैसे सबसे कहेंगी आँखें / सतीश शुक्ला 'रक़ीब'" के अवतरणों में अंतर

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गुज़री है रात कैसे सबसे कहेंगी आँखें  
 
गुज़री है रात कैसे सबसे कहेंगी आँखें  
शरमा के ख़ुद से ख़ुद ही यारों झुकेंगी आँखें  
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शरमा के ख़ुद से ख़ुद ही यारो झुकेंगी आँखें  
 
   
 
   
 
महबूब मेरे मुझको तस्वीर अपनी दे जा  
 
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होठों की मेरे कलियाँ कब तक नहीं खिलेंगी  
 
होठों की मेरे कलियाँ कब तक नहीं खिलेंगी  
अश्के लहू से आखिर कब तक रचेंगी आँखें  
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अश्के लहू से आख़िर कब तक रचेंगी आँखें  
 
   
 
   
 
सुख-दुःख हैं इसके पहलू ये ज़िन्दगी है सिक्का
 
सुख-दुःख हैं इसके पहलू ये ज़िन्दगी है सिक्का

05:31, 6 अगस्त 2016 का अवतरण

गुज़री है रात कैसे सबसे कहेंगी आँखें
शरमा के ख़ुद से ख़ुद ही यारो झुकेंगी आँखें
 
महबूब मेरे मुझको तस्वीर अपनी दे जा
तन्हाइयों में उससे बातें करेंगी आँखें
 
उसने कहा था मुझसे परदेस जाने वाले
जब तक न आएगा तू रस्ता तकेंगी आँखें
 
मन में रहेगा मेरे बस प्यार का उजाला
हर राह ज़िन्दगी की रोशन करेंगी आँखें
 
होठों की मेरे कलियाँ कब तक नहीं खिलेंगी
अश्के लहू से आख़िर कब तक रचेंगी आँखें
 
सुख-दुःख हैं इसके पहलू ये ज़िन्दगी है सिक्का
हालात ज़िन्दगी के ख़ुद ही कहेंगी आँखें
 
तू भी 'रक़ीब' सो जा होने को है सवेरा
वरना हथेली दिन भर मलती रहेंगी आँखें