भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"प्रभु जी मेरे अवगुन चित ना धरो / इंदीवर" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) (New page: दिल की धड़कन बना लिया उनको। पुतलियों में छुपा लिया उनको।। ::जिनके चूमे क...) |
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) |
||
पंक्ति 1: | पंक्ति 1: | ||
− | + | आता लबों पे नाम तेरा बार-बार क्यूँ? | |
− | + | है रोज़ सुबह शाम तेरा इंतज़ार क्यूँ।। | |
− | :: | + | ::नाजुक तरी निगाह, बड़े नाज की पली। |
− | :: | + | ::ऎसी भली निगाह से दिल का शिकार क्यूँ।। |
− | + | मेरे क़रीब आ तू मेरे और भी क़रीब। | |
− | + | दो दिल न मिल सके तो हुईं आँखें चार क्यूँ।। |
14:31, 27 मार्च 2008 का अवतरण
आता लबों पे नाम तेरा बार-बार क्यूँ?
है रोज़ सुबह शाम तेरा इंतज़ार क्यूँ।।
- नाजुक तरी निगाह, बड़े नाज की पली।
- ऎसी भली निगाह से दिल का शिकार क्यूँ।।
मेरे क़रीब आ तू मेरे और भी क़रीब।
दो दिल न मिल सके तो हुईं आँखें चार क्यूँ।।