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"प्रभु जी मेरे अवगुन चित ना धरो / इंदीवर" के अवतरणों में अंतर

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दिल की धड़कन बना लिया उनको।
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आता लबों पे नाम तेरा बार-बार क्यूँ?
  
पुतलियों में छुपा लिया उनको।।
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है रोज़ सुबह शाम तेरा इंतज़ार क्यूँ।।
  
::जिनके चूमे क़दम बहारों ने।
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::नाजुक तरी निगाह, बड़े नाज की पली।
  
::मुस्करा कर लुभा लिया उनको।।
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::ऎसी भली निगाह से दिल का शिकार क्यूँ।।
  
टोलियाँ ढूंढती हैं तारों की।
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मेरे क़रीब आ तू मेरे और भी क़रीब।
  
मैंने जब से चुरा लिया उनको।।
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दो दिल न मिल सके तो हुईं आँखें चार क्यूँ।।

14:31, 27 मार्च 2008 का अवतरण

आता लबों पे नाम तेरा बार-बार क्यूँ?

है रोज़ सुबह शाम तेरा इंतज़ार क्यूँ।।

नाजुक तरी निगाह, बड़े नाज की पली।
ऎसी भली निगाह से दिल का शिकार क्यूँ।।

मेरे क़रीब आ तू मेरे और भी क़रीब।

दो दिल न मिल सके तो हुईं आँखें चार क्यूँ।।