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"बिजलियों सी चमक है तेरी / सतीश शुक्ला 'रक़ीब'" के अवतरणों में अंतर
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मोतियों में दमक है तेरी | मोतियों में दमक है तेरी | ||
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वो कमर की लचक है तेरी | वो कमर की लचक है तेरी | ||
03:19, 7 अगस्त 2016 का अवतरण
बिजलियों सी चमक है तेरी
ज़ाफ़रानी महक है तेरी
मेरे ख़्वाबों ख़यालों में बस
चूड़ियों की खनक है तेरी
ख़ामुशी, बाग़ में अब कहाँ
क़ुमरियों सी चहक है तेरी
सीप सागर के तुझ पर फ़िदा
मोतियों में दमक है तेरी
शाख़े-गुल का हो जिस पर गुमां
वो कमर की लचक है तेरी
धूप करती है तुझको सलाम
चांदनी में झलक है तेरी
तेरे दिल में मेरा दर्द है
मेरे दिल में कसक है तेरी
सच तो ये है मुझे ऐ 'रक़ीब'
अब रक़ाबत पे शक है तेरी