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"जाए जाकर, बेवफाई, कोई उनसे सीख आए / सतीश शुक्ला 'रक़ीब'" के अवतरणों में अंतर
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− | जिसको कहते हैं बुराई, कोई उनसे सीख | + | जिसको कहते हैं बुराई, कोई उनसे सीख आय |
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किस तरह उल्फ़त लुटाते हैं अता करते हैं प्यार | किस तरह उल्फ़त लुटाते हैं अता करते हैं प्यार | ||
− | जाके तर्ज़े दिलरुबाई, कोई उनसे सीख | + | जाके तर्ज़े दिलरुबाई, कोई उनसे सीख आय |
वस्ल की शब के सभी आदाब से वाक़िफ़ हैं वो | वस्ल की शब के सभी आदाब से वाक़िफ़ हैं वो | ||
− | + | कैसे पकड़ेंगे कलाई?, कोई उनसे सीख आय | |
− | + | हैं ज़माने के बड़े मशहूर वो नग़मासरा | |
− | + | मुस्तनद नग़मा सराई, कोई उनसे सीख आय | |
− | शैख़ | + | शैख़ हों या हों बिरहमन दोनो ही हैं पारसा |
− | + | ये अदा-ए-पारसाई, कोई उनसे सीख आय | |
दो महाजन हैं मोहल्ले में हमारे, किस तरह | दो महाजन हैं मोहल्ले में हमारे, किस तरह | ||
− | जोड़ते हैं पाई पाई, कोई उनसे सीख | + | जोड़ते हैं पाई पाई, कोई उनसे सीख आय |
वो हसीं हैं और सितम शेवा है उनका ऐ 'रक़ीब' | वो हसीं हैं और सितम शेवा है उनका ऐ 'रक़ीब' | ||
− | चीज़ क्या है कजअदाई, कोई उनसे सीख | + | चीज़ क्या है कजअदाई, कोई उनसे सीख आय |
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03:56, 7 अगस्त 2016 के समय का अवतरण
जाए जाकर, बेवफ़ाई, कोई उनसे सीख आय
जिसको कहते हैं बुराई, कोई उनसे सीख आय
किस तरह उल्फ़त लुटाते हैं अता करते हैं प्यार
जाके तर्ज़े दिलरुबाई, कोई उनसे सीख आय
वस्ल की शब के सभी आदाब से वाक़िफ़ हैं वो
कैसे पकड़ेंगे कलाई?, कोई उनसे सीख आय
हैं ज़माने के बड़े मशहूर वो नग़मासरा
मुस्तनद नग़मा सराई, कोई उनसे सीख आय
शैख़ हों या हों बिरहमन दोनो ही हैं पारसा
ये अदा-ए-पारसाई, कोई उनसे सीख आय
दो महाजन हैं मोहल्ले में हमारे, किस तरह
जोड़ते हैं पाई पाई, कोई उनसे सीख आय
वो हसीं हैं और सितम शेवा है उनका ऐ 'रक़ीब'
चीज़ क्या है कजअदाई, कोई उनसे सीख आय