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"ख़ुद को तुम मेरी कायनात कहो / सतीश शुक्ला 'रक़ीब'" के अवतरणों में अंतर

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तन्हा कैसे कटेगी रात कहो
 
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हो गया होगा रो के दिल हल्का
 
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ग़म से भी मिल गयी नजात कहो
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ज़िन्दगी में कहाँ सुकूने-दिल  
 
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मौत को राहते-हयात कहो
 
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ख़ाक जलकर हुआ है कौन 'रक़ीब'
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ख़ाक हासिद हुआ है जल के 'रक़ीब'
 
किसने खाई है किससे मात कहो
 
किसने खाई है किससे मात कहो
 
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04:03, 7 अगस्त 2016 के समय का अवतरण


ख़ुद को तुम मेरी कायनात कहो
दिल को जो छूले ऐसी बात कहो

आज मौसम की पहली बारिश में
तन्हा कैसे कटेगी रात कहो

पास बैठो कभी तो पहलू में
कुछ हमारी कुछ अपनी बात कहो

आज वो बेनक़ाब निकले हैं
आज की रात चाँद रात कहो

हो गया होगा रो के दिल हल्का
ग़म से क्या मिल गयी नजात कहो

ज़िन्दगी में कहाँ सुकूने-दिल
मौत को राहते-हयात कहो

ख़ाक हासिद हुआ है जल के 'रक़ीब'
किसने खाई है किससे मात कहो