"दरिन्दे समय के विरुद्ध / अनिल कार्की" के अवतरणों में अंतर
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08:51, 10 अगस्त 2016 का अवतरण
फिर एक बार 
क्योराल1 खिल उठा है
जबकि अब भी बह रहा है 
ह्यूँ-गल2 
राम नदी के जल में  
रेवाड़ी हवाओं से उड़ रही है रेत
भूखे पेट सी 
मरोड़ वाला भँवर बनाते हुए 
सरसों के विरुद्ध 
खड़ा है चीड़ का पीला क्यूर3
मछुवारे निकल पड़े हैं  
हाथों में डोरी लिए 
बल्सी के मुँह पर 
चारा लगाते हुए 
सबकुछ जानते, समझते हुए 
पीली गदरायी चखट्टे वाली महासीर4
चलने लगी है उकाल5 की तरफ
राम नदी के बहाव की 
विपरीत दिशा में! 
बाँज6 के पेड़ों पर 
सुनहरा पलाँ7 फूट रहा है
इस वक्त, 
गेहूँ की नन्हीं बालें  
ओलों से लड़ रही हैं खुले आम
आसमान बने दरिन्दे समय के विरुद्ध!
1.कचनार  2.बर्फ वाला ठंडा पानी 3. चीड़ के फलों से निकलने वाला पीला पराग (जिसके हवा में घुलने से सर दर्द होता है) 4. पहाड़ी मछली की प्रजाति 5. ऊपर की ओर 6. ओक 7. कोपल
	
	