भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"सुनामी / मुकेश प्रत्यूष" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Kumar mukul (चर्चा | योगदान) ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=मुकेश प्रत्यूष |संग्रह= }} Category:कव...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
(कोई अंतर नहीं)
|
22:16, 25 अगस्त 2016 के समय का अवतरण
चीटियां बहुत हैं यार
मीठा तो मीठा करती है नमकीन तक से प्यार
पकाऊं चावल चाहे रोटी
लिखा है किस्मत में एक शाम उपवास
कितना चालूं आटा
कितना ढकूं ग्लास
बस इतनी सी बात
दे मग भर पानी
थोड़ी तेज बास