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21:50, 1 सितम्बर 2016 के समय का अवतरण
एक अमीबा बड़े मज़े से
नाले में था रहता
अरे! वही गंदा नाला, जो
सड़क पार था बहता
कहने को तो एक अमीबा
ढेरों उसके बच्चे
नाले में उनकी कालोनी
रहते गुच्छे-गुच्छे
क्रिकेट खेलते हुए गेंद
नाले में गिरी छपाक
आव न देखा ताव न देखा
पप्पू गया तपाक
साथ गेंद के कई अमीबा
पप्पू लेकर आया
बड़े-बड़े नाखून, भूल से
उनको वहीं छुपाया
हाथ नहीं धोए अच्छे से
पप्पू ने घर जाकर
ख़ुश थे बहुत अमीबा सारे
उसके पेट में जाकर
रात हुई पप्पू चिल्लाया
हुई पेट में गुड़-गुड़
सारे बच्चे समझ रहे हैं
कहाँ-कहाँ थी गड़बड़