भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"सदस्य:राजेश शर्मा" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(जिस दिन रूप तुम्हारा देखा था निखार होते होते)
 
(कोई अंतर नहीं)

20:59, 4 सितम्बर 2016 के समय का अवतरण

जिस दिन रूप तुम्हारा देखा था निखार होते होते और बच गए हम भी उस दिन निर्विकार होते होते