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{{KKGlobal}}{{KKLokRachna|रचनाकार=अज्ञात}}{{KKCatRajasthaniRachna}}<poem>म्हारे आलीजा री चंग, बाजै अलगौजा रे संग, <br>फागण आयो रे ! <br><br>
रूंख-रूंख री नूंवी कूपळा, गीत मिलण रा अब गावै। <br>गावैबन-बागां म काळा भंवरा, कळी-कळी ने हरसावै। <br>हरसावैगूंझै ढोलक ताल मृदंग, बाजे आलीजा री चंग।। <br>चंगफागण आयो रे ! <br><br>
आज बणी हर नारी राधा, नर बणिया है आज किसन। <br>किसनरंग प्रीत रो एडो बिखर्यो, गली-गली है बिंदराबन। <br>बिंदराबनहिवडै-हिवडै उठे तरंग, बाजे आलीजा री चंग।। <br>चंगफागण आयो रे ! <br><br/poem>