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"आशा का दीपक / रामधारी सिंह "दिनकर"" के अवतरणों में अंतर
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04:17, 8 अप्रैल 2008 का अवतरण
वह प्रदीप जो दीख रहा है झिलमिल दूर नही है
थक कर बैठ गये क्या भाई मन्जिल दूर् नही है
चिन्गारी बन गयी लहू की बून्द गिरी जो पग से
चमक रहे पीछे मुड् देखो चरण-चिनह् जगमग से
बाकी होश तभी तक , जब तक जलता तूर् नही है
थक कर बैठ गये क्या भाई मन्जिल दूर् नही है