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{{KKGlobal}}{{KKParichay|चित्र=Ekant-shrivastava.jpg|नाम=एकांत श्रीवास्तव|उपनाम=|जन्म- 8 फरवरी =08 फ़रवरी 1964 को |जन्मस्थान=छुरा, छत्तीसगढ़ में। , भारत '|कृतियाँ=[[अन्न हैं मेरे शब्द`/ एकांत श्रीवास्तव|अन्न हैं मेरे शब्द]], '[[मिट्टी से कहूंगा धन्यवाद / एकांत श्रीवास्तव|मिट्टी से कहूँगा धन्यवाद` और ']], बीज से फूल तक` तीन काव्य संकलन प्रकाशित। कविता पर वैचारिक गद्य, निबंध, डायरी लेखन उनके प्रिय विषय हैं। |विविध=शरद बिल्लौरे पुरस्कार, केदार सम्मान, दुष्यंत कुमार पुरस्कार, ठाकुर प्रसाद सिंह पुरस्कार और , नरेन्द्रदेव वर्मा पुरस्कार और हेमंत स्मृति कविता सम्मान से सम्मानित।सम्मानितकरेले बेचने आई बच्चियाँ|अंग्रेज़ीनाम=Ekant Srivastava, Shrivastava|जीवनी=[[एकांत श्रीवास्तव / परिचय]]पुराने उजाड़ मकानों में}}खेतों-मैदानों में{{KKCatChhattisgarh}}ट्रेन की पटरियों के किनारे====कविता संग्रह====सड़क किनारे घूरों में उगी * '''[[अन्न हैं जो लताएँमेरे शब्द / एकांत श्रीवास्तव]]'''जंगली करेले कीवहीं * '''[[मिट्टी से तोड़कर लाती हैं तीन बच्चियाँछोटे-छोटे करेले गहरे हरेकहूंगा धन्यवाद / एकांत श्रीवास्तव]]'''====कुछ काई जैसे रंग केप्रतिनिधि रचनाएँ====और मोल-भाव के बाद तीन रुपए मेंबेच जाती हैंउन तीन रुपयों को वे बांट लेती हैं आपस मेंतो उन्हें एक-एक रुपया मिलता है* [[सेल्युलर जेल / एकांत श्रीवास्तव]]* [[करेले की लताओं को ढूंढने मेंऔर उन्हें तोड़कर बेचने मेंउन्हें लगा है आधा दिनतो यह एक रुपयाउनके आधे दिन का पारिश्रमिक हैमेरे आधे दिन के वेतन सेकितना कमऔर उनके आधे दिन का श्रमकितना ज़्यादा मेरे आधे दिन के श्रम सेकरेले बिक जाते हैंमगर उनकी कड़वाहट लौट जाती है वापसउन्हीं बच्चियों के साथउनके जीवन में।आई बच्चियाँ / एकांत श्रीवास्तव]]* [[नमक बेचने वाले/ एकांत श्रीवास्तव]](विशाखापट्टनम की सड़कों पर नमक बेचने वालों को देखकर)* [[बिजली / एकांत श्रीवास्तव]]* [[दुःख / एकांत श्रीवास्तव]]ऋतु की आँच मेंसमुद्र का पानी सुखाकरनमक * [[पत्तों के खेतों सेबटोरकर सफ़ेद ढेलेवे आते हैं दूर गाँवों सेशहर हिलने की सड़कों पर नमक बेचने वालेआवाज़ / एकांत श्रीवास्तव]]काठ की दो पहियों वाली हाथगाड़ी को* [[ताजमहल / एकांत श्रीवास्तव]]कमर में फँसाकर खींचते हुए* [[रास्ता काटना / एकांत श्रीवास्तव]]ऐसे समय में* [[लोहा / एकांत श्रीवास्तव]]जब लगातार कम होता जा रहा है नमक* [[बांग्ला देश / एकांत श्रीवास्तव]]हमारे रक्त काहमारे आँसुओं और पसीने का नमकवे आते हैं नमक बेचनेचिल्लाते हुए... नमक... नमकसफेद धोती घुटनों तक मोड़कर पहने हुएफटी क़मीज़ या बनियानसिर पर गमछा बाँधे नंगे पाँवकान में बीड़ियाँ खोंसकर वे आते हैंऔर स्त्रियाँ अधीर हो जाती हैंउनकी आवाज़ सुनकरवे आती हैं ड्योढ़ियों और झरोखों तककि कहीं ख़त्म तो * [[नहीं हो गयारसोई का नमकवे बेचते हैं नमकअपनी आवाज़और हृदय आने के शहद को बचाते हुएलिए कहकर / एकांत श्रीवास्तव]]वे बेचते हैं नमक* [[नोट गिनने वाली मशीन / एकांत श्रीवास्तव]]अपने दुख-तकलीफों को* [[ख़ून की कमी / एकांत श्रीवास्तव]]नमक के खेतों में गलाते हुए* [[विरुद्ध कथा / एकांत श्रीवास्तव]]वे बेचते हैं नमकखारे और मीठे * [[अनाम चिड़िया के समीकरण को बचाते हुएनाम / एकांत श्रीवास्तव]]एल्यूमिनियम के डिब्बों में* [[यात्रा / एकांत श्रीवास्तव]]पानी में डूबा भात* [[विस्थापन / एकांत श्रीवास्तव]]सिर्फ़ नमक के साथ खाते हुएवे बेचते हैं नमकउनकी आँखें मुँदती जाती हैंपाँव थकते जाते हैंबाजू दुखते जाते हैंआवाज़ डूबती जाती है नींद और थकान * [[भाई कीचिट्ठी / एकांत श्रीवास्तव]]अंधेरी कंदराओं मेंनमक बेचते हुएयह दुनियाउन्हें नमक की तरह लगती हैअपने प्रखर खारेपन मेंहर मिठास के विरुद्धनमक जैसी दुनिया में रहते हुएबेचते हुए नमकवे बचाते हैं कि उन्हें बचाना ही हैअपनी आवाज़ और हृदय का शहद।* [[वसंत / एकांत श्रीवास्तव]]