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"जितना-जितना बहरा होता जाता हूँ / दीपक शर्मा 'दीप'" के अवतरणों में अंतर
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जितना-जितना बहरा होता जाता हूँ | जितना-जितना बहरा होता जाता हूँ | ||
− | उतना-उतना गहरा होता जाता हूँ | + | उतना-उतना गहरा होता जाता हूँ |
− | देख देख कर बच्चों की अठखेली को | + | देख-देख कर बच्चों की अठखेली को |
− | मैं | + | मैं दरिया से सहरा होता जाता हूँ |
− | माज़ी | + | माज़ी दिल पे बोझ बढ़ाए जाता है |
− | सर से पा तक दुहरा होता जाता हूँ | + | सर से पा तक दुहरा होता जाता हूँ |
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00:10, 19 सितम्बर 2016 के समय का अवतरण
जितना-जितना बहरा होता जाता हूँ
उतना-उतना गहरा होता जाता हूँ
देख-देख कर बच्चों की अठखेली को
मैं दरिया से सहरा होता जाता हूँ
माज़ी दिल पे बोझ बढ़ाए जाता है
सर से पा तक दुहरा होता जाता हूँ