भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"बाढ़ / चन्द्रप्रकाश जगप्रिय" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Rahul Shivay (चर्चा | योगदान) ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=चन्द्रप्रकाश जगप्रिय |अनुवादक= |स...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
(कोई अंतर नहीं)
|
21:30, 26 सितम्बर 2016 के समय का अवतरण
बाढ़ केकरोॅ
बोहो में बहै छै के
यहाँ सगरे।
वर्फ पिघलै
क्रुद्ध छै हिमालय
के रोके लय।
बाढ़ की छेकै
मृत्यु करो हंकारोॅ
कत्तोॅ हाँक पारोॅ।
गाछ कटलै
हिमालय नंगा छै
गाँव गंगा छै।
बाढ़ आवै तेॅ
पत्थल पसीजै छै
काल रीझै छै।
केकरोॅ गंगा
आरो केकरो कोशी
बाढ़ मुझौसी।
नदी के पेटी
आदमी रोॅ बिछौना
तित्ती लगौना।
कोशी बाढ़ में
जाने-माल नै बहै
ममतो दहै।