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चांदनी जी लो / अज्ञेय

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}}
शरद चाँदनी चांदनी बरसी<br>
अँजुरी भर कर पी लो<br><br>
बरसी<br>
शरद चाँदनीचांदनी <br>
मेरा अन्त:स्पन्दन<br>
तुम भी क्षण-क्षण जी लो !<br><br>