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"सुभाषचंद / चिराग़ जैन" के अवतरणों में अंतर
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08:13, 2 अक्टूबर 2016 के समय का अवतरण
जिनकी धमनियों में डोलता था ज्वालामुखी
मात-भारती के क्रांति-कोष कहाँ खो गए।
राष्ट्र-स्वाभिमान वाली मदिरा का पान कर
होते थे जो लोग मदहोश; कहाँ खो गए।
जिस सिंह-गर्जना से बाजुएँ फड़कतीं थीं
इन्क़लाब वाले जय-घोष कहाँ खो गए।
देश को आज़ादी की अमोल सम्पदा थमा के
नेताजी सुभाष चन्द बोस कहाँ खो गए।