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13:47, 27 अप्रैल 2008 का अवतरण


     माँ
रोज़ सुबह, मुंह-अँधेरे
दूध बिलौने से पहले
माँ 
चक्की पीसती,
और मैं
घूमेड़े में
आराम से
सोता .
- तारीफ़ों में बँधीं 
माँ
जिसे मैंने कभी
सोते 
नहीं देखा .
आज
जवान होने पर
एक प्रश्न घुमड़ आया है -
पिसती
चक्की थी
या
माँ 
माँ .