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इन्होंने छत्तीसगढ़ी भाषा व साहित्य का उद्विकास में रविशंकर विश्वविद्यालय से पीएचडी की एवं छत्तीसगढ़ी भाषा व साहित्य में कालक्रमानुसार विकास का महान कार्य किया। ये कवि नाटककार, उपन्यासकार, कथाकार, समीक्षक एवं भाषाविद थे। इनका छत्तीसगढ़ी गीत संग्रह ‘अपूर्वा’ है। इसके अलावा सुबह की तलाश (हिन्दी उपन्यास), छत्तीसगढ़ी भाषा का उद्विकास, हिन्दी स्वछंदवाद प्रयोगवादी, नयी कविता सिद्धांत एवं सृजन, हिन्दी नव स्वछंदवाद आदि प्रकाशित ग्रंथ हैं। इनका ‘मोला गुरू बनई लेते’ छत्तीसगढ़ प्रहसन अत्यन्त लोकप्रिय हुआ।