भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"किसान देवता / मुरली चंद्राकर" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=मुरली चंद्राकर |संग्रह= }} {{KKCatGeet}} <poem>...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

22:37, 24 अक्टूबर 2016 के समय का अवतरण

जागो-जागो हे किसान अब तो होगे बिहान
धरती माता तोला गोहरावे अरज करे तोर सुरुज भगवान

डेहरी में तोर बिहिनियां खड़े हे
खेत में तोर मंझनिया अड़े हे संगी
लहू पसीना ल खेत में भर के
धरती के करो हे सवांग ||जागो-जागो ||

हीरा मोती के जोड़ी खड़े हे
धोवन पसिया बिना अड़े हे संगी
चिरहा निगोटी कुरता पहिर के
कर लेबे तैंहा सवांग ||जागो-जागो ||

तोरेच कमई मा सबो भुकरत हे
बनियां बेपारी येहूँ डकरत हे
बीता भर पेट के खातिर तोला
विधि ह गढ़ दिस किसान ||जागो-जागो||

जियत भरके खटिया गोरसी
चोंगी माखुर मा निपटे रे बरसी
छाती में तोर जम राजा अस
चढ़े हावे संझा बिहान ||जागो-जागो||