"महंगा जमो बेचावत हें / बुधराम यादव" के अवतरणों में अंतर
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पानी असन नहावन! | पानी असन नहावन! | ||
अब सरहा पतरी के दाम ह | अब सरहा पतरी के दाम ह | ||
− | रूपिया ले अतकावत | + | रूपिया ले अतकावत हे! |
‘‘पानी के बस मोल’’ के मतलब | ‘‘पानी के बस मोल’’ के मतलब | ||
सस्ता निचट कहाथे! | सस्ता निचट कहाथे! | ||
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सरसों अउ सूरजमुखी संग | सरसों अउ सूरजमुखी संग | ||
सोयाबिन महगागय! | सोयाबिन महगागय! | ||
− | जमो जिनिस के दाम निखालिस | + | जमो जिनिस के दाम निखालिस |
सरग म जनव टंगागय! | सरग म जनव टंगागय! | ||
घी खोवा अउ दही दूध ल | घी खोवा अउ दही दूध ल | ||
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रूपिया भर म नूनहा बोरा | रूपिया भर म नूनहा बोरा | ||
चार आना सेर चाऊंर! | चार आना सेर चाऊंर! | ||
− | बिना मोल कस कोदो कुटकी | + | बिना मोल कस कोदो कुटकी |
− | साँवा | + | साँवा सहित बदाऊर ! |
‘वार बाजरा जोंधरा जोंधरी | ‘वार बाजरा जोंधरा जोंधरी | ||
− | धनवारा | + | धनवारा गुड़ भेली! |
बटुरा मसुरी चना गहूं | बटुरा मसुरी चना गहूं | ||
सिरजइया महल हबेली! | सिरजइया महल हबेली! | ||
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रूपिया चार आना अठन्नी | रूपिया चार आना अठन्नी | ||
जांगर टोर क मावंय! | जांगर टोर क मावंय! | ||
− | ठोमा-खाँड़ | + | ठोमा-खाँड़ पसर का चुरकी |
भुरकी भर भर लावंय! | भुरकी भर भर लावंय! | ||
− | बांट बांट कुरूचारा | + | बांट बांट कुरूचारा कस |
जुरमिल के सब खावंय! | जुरमिल के सब खावंय! | ||
एक दूसर के सुख दुख सिरतों | एक दूसर के सुख दुख सिरतों | ||
जानय अउ जनावंय! | जानय अउ जनावंय! | ||
अब सौ रूपिया घलव कमा के | अब सौ रूपिया घलव कमा के | ||
− | कल्लर-कइया | + | कल्लर-कइया लावत हें! |
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02:51, 28 अक्टूबर 2016 के समय का अवतरण
रूपिया भर म कतेक बतावन
का का जिनिस बिसावन!
कॉंवर भर भर साग पान
टुकना भर अन्न झोकावन!
राहर दार लुचई के चाऊंर
चार चार सेर लावन!
अइसन सस्ता घी अउ दूध के
पानी असन नहावन!
अब सरहा पतरी के दाम ह
रूपिया ले अतकावत हे!
‘‘पानी के बस मोल’’ के मतलब
सस्ता निचट कहाथे!
अब तो लीटर भर जल ह पन
बीस रूपिया म आथे!
थैला भर पैसा म खीसा भर
अब जिनिस बिसाथन!
महंगाई के जबर मार ल
रहि रहि के हम खाथन!
मनखे के मरजाद छोड़ अब
महंगा जमो बेचावत हे!
सपना हो गय तेल तिली के
अउ तेली के घानी!
अरसी अंड़ी भुरभुंग लीम अउ
गुल्लील आनी बानी!
सरसों अउ सूरजमुखी संग
सोयाबिन महगागय!
जमो जिनिस के दाम निखालिस
सरग म जनव टंगागय!
घी खोवा अउ दही दूध ल
मुरूख जहर बनावत हें!
रूपिया भर म नूनहा बोरा
चार आना सेर चाऊंर!
बिना मोल कस कोदो कुटकी
साँवा सहित बदाऊर !
‘वार बाजरा जोंधरा जोंधरी
धनवारा गुड़ भेली!
बटुरा मसुरी चना गहूं
सिरजइया महल हबेली!
तिवरा राहर मूंग मोल अब
सरग म गोड़ लमावत हे।
रूपिया चार आना अठन्नी
जांगर टोर क मावंय!
ठोमा-खाँड़ पसर का चुरकी
भुरकी भर भर लावंय!
बांट बांट कुरूचारा कस
जुरमिल के सब खावंय!
एक दूसर के सुख दुख सिरतों
जानय अउ जनावंय!
अब सौ रूपिया घलव कमा के
कल्लर-कइया लावत हें!