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"तइहा के सब बइहा ले गय / बुधराम यादव" के अवतरणों में अंतर

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अब अतंस करलावत हे!
 
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माड़ी भर धुर्राये धरसा
 
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गदफद* चिखला मातय!
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चार महीना चौमासा ल
 
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सजा बरोबर काटंय!
 
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मुरूम भांठा डोंगरी पहरी
 
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नदिया खंड़ के रेती!
 
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बड़े असामी* मन बर हो गंय
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जनव अनाथिन बेटी!
 
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धन बल अउ सरकार के सह म
 
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बिघवा चितवा नरवा झोरकी  
 
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तीर म माड़ा* छावंय!
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छेरिया बोकरी बछरू पठरू
 
छेरिया बोकरी बछरू पठरू
 
सुन्ना पा धर खावंय!
 
सुन्ना पा धर खावंय!
 
हिरना मिरगा सांभर चीतर
 
हिरना मिरगा सांभर चीतर
खेतखार मेछरावंय*!
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खेतखार मेछरावंय!
तरिया नदिया घठौंदा*
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तरिया नदिया घठौंदा म
 
पानी पीये आवंय!
 
पानी पीये आवंय!
 
मनखे के मारे जंगल म
 
मनखे के मारे जंगल म
बपुरा जीव लुकावत* हें!
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बपुरा जीव लुकावत हें!
  
 
तइहा के सब बइहा ले गय
 
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चाहंय करंय सवारी!
 
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अन्न धन्न भरपूर तभो
 
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दर्रा* घोटों* उन खावंय!
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दर्रा घोटों उन खावंय!
 
दूध दही धी बरा सोहारी
 
दूध दही धी बरा सोहारी
 
पहुंना पही जेवावंय!
 
पहुंना पही जेवावंय!

02:53, 28 अक्टूबर 2016 के समय का अवतरण

तइहा तिरिथ बरथ खातिर
घर ले कउनों जब जावंय!
जमो कुटुम जुरियाये गांव के
मेड़ो तक पहुंचावंय!
गुनय बहुर के आ पाही के
ओही कती खप जाही!
तुलसा दही खवादंय मरके
कहुं सरग मिल पाही!
रेंगत आवंय जावंय सुन के
अब अतंस करलावत हे!
माड़ी भर धुर्राये धरसा
गदफद चिखला मातय!
चार महीना चौमासा ल
सजा बरोबर काटंय!
पट पट ले अब सुखा चिमटी
भर धुर्रा नइ माढय़!
गिट्टी डामर सिरमिट के अउ
काम दिनो दिन बाढय़!
राजीव इंदिरा अटल सड़क ले
गांव गांव जुरियावत हें।

मुरूम भांठा डोंगरी पहरी
नदिया खंड़ के रेती!
बड़े असामी मन बर हो गंय
जनव अनाथिन बेटी!
धन बल अउ सरकार के सह म
कब्जा अपन जमाथें!
रतिहा भर म कुहरा उगलत
करखाना लगवाथें!
डपर ट्रक ट्राली डोजर करेन
करेसर म सरकावत हें!

बिघवा चितवा नरवा झोरकी
तीर म माड़ा छावंय!
छेरिया बोकरी बछरू पठरू
सुन्ना पा धर खावंय!
हिरना मिरगा सांभर चीतर
खेतखार मेछरावंय!
तरिया नदिया घठौंदा म
पानी पीये आवंय!
मनखे के मारे जंगल म
बपुरा जीव लुकावत हें!

तइहा के सब बइहा ले गय
जानव सही जवारा!
कोस कोस मेला ठेला अब
धाप धाप हटवारा!
मोटर गाड़ी जीप कार के
रस्ता भर भरमार!
सड़क पूरे नइ आवय तभो
छेंकत हें बटमार!
चिंरइ चिरगुन जइसन मनखे
मन के गति जनावत हें!

मड़ई मेला हाट बाट बर
लइका संग सुवारी!
छकड़ा घोड़ा गाड़ी के जब
चाहंय करंय सवारी!
अन्न धन्न भरपूर तभो
दर्रा घोटों उन खावंय!
दूध दही धी बरा सोहारी
पहुंना पही जेवावंय!
चटनी बासी अंगाकर के
नाव लेत सकुचावत हें!

घर अंगना चूल्हा चौंकी म
पानी कॉंजी भरइया!
कुटिया पिसिया बेरा कुबेरा
बनी भूती क रइया!
सरसतिया शिक्षा कर्मी
सरपंच बनिस परबतिया!
सहेली के संग सुघ्घेर
संदेश देवय दुरपतिया!
राजनीति भंडार घलव म
तिरिया संग समावत हे!