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"चाल चरित म कढ़े रहंय / बुधराम यादव" के अवतरणों में अंतर

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की रतन अउ नवाधा रमायन!
 
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सतसंग भागवत कथा घलव
 
सतसंग भागवत कथा घलव
पन बाहिर कुकुर कटायेन*!
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बात बात म ओरझत फिरथें
 
बात बात म ओरझत फिरथें
 
बिरथा रार बढ़ाथें!
 
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छिन भर म जुग भर के जोरे
 
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नता ल होम चढ़ाथें !
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नता ल होम चढ़ाथें!
 
नेम धेम मनवइया ओकर ले
 
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दिन दिन दुरिहावत हें!
 
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पढ़ंता गुनवंता मन के  
 
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आज हे घलव जमाना!
 
आज हे घलव जमाना!
उद्दिम करके बुध बल आँछत*
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उद्दिम करके बुध बल आँछत
 
जोरत हावंय खजाना!
 
जोरत हावंय खजाना!
 
गुन के पीछू राज राज अउ
 
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नवा समे के फैसन!
 
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पुरती खातिर उदिम करत हें
 
पुरती खातिर उदिम करत हें
जेकर लखारस* जइसन!
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जेकर लखारस जइसन!
 
गाँव गली गुंडी घर अंगना
 
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बैठक चौरा भावय!
 
बैठक चौरा भावय!
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बिना मूर जगरत हें!
 
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बिना जतन के बेाम जइसे
 
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इहाँ उहाँ बगरत* हें!
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एक हाथ खीरा के लबरा
 
एक हाथ खीरा के लबरा
 
नौ हाथ बीज बतइया!
 
नौ हाथ बीज बतइया!

02:59, 28 अक्टूबर 2016 के समय का अवतरण

होये बर होथे गाँव गाँव
की रतन अउ नवाधा रमायन!
सतसंग भागवत कथा घलव
पन बाहिर कुकुर कटायेन!
बात बात म ओरझत फिरथें
बिरथा रार बढ़ाथें!
छिन भर म जुग भर के जोरे
नता ल होम चढ़ाथें!
नेम धेम मनवइया ओकर ले
दिन दिन दुरिहावत हें!
भले रहंय अड़हा तइहा पन
कइ ठन गुन ल पढ़े रहंय!
कदर करंय जइसन के तइसन
चाल चरित म कढ़े रहंय!
पर के खातिर सरबस देवंय
बोलंय मधुरस कस बानी!
आज सरावत हें घुरूवा म
लाज सरम सब बिन पानी!
काल परो दिन अउ का होही
अंतस सोच सतावत हे!

पढ़ंता गुनवंता मन के
आज हे घलव जमाना!
उद्दिम करके बुध बल आँछत
जोरत हावंय खजाना!
गुन के पीछू राज राज अउ
देस बिदेस पूजाथें!
अपन नाव के संग राज के
नाव ल जबर जगाथें!
अवगुन के संग के जमाना
गुन ल घलव बढ़ावत हें!

चटनी नून बासी झड़कइया
दार बिना नइ खावंय!
गुटका पान मसाला माखुर
मुंह भरके पगुरावंय!
भिनसरहा जागब बिसरागंय
आठ बजे तक सोथें!
अधकचरा पढ़वइया घर न
घाट घलव के होथें!
तइहा के बइहा ले गय अब
कलजुग रंग देखावत हे!

किसिम किसिम के ओनहा कपड़ा
नवा समे के फैसन!
पुरती खातिर उदिम करत हें
जेकर लखारस जइसन!
गाँव गली गुंडी घर अंगना
बैठक चौरा भावय!
सरहा सरही के कुरिया म
मन के डाह बुतावय!
इस्नो पावडर साबुन सेंट
अउ का का अजब लगावत हें!

समे के बलवंता चकिया म
एक दिन जमो पिसाथें!
दू कौड़ी म हरिश्चंद्र
राजा ल डोम बिसाथे!
गांव गौटिया तक ल तइहा
सइकल चढ़े नइ आवय!
अउ दू आखर अंगरेजी का
हिन्दीन न गोठियावय!
अब इंकरे नाती नतुरा मन
अंगरेजी फरमावत हें!

अमर बेल कस अतियाचारी
बिना मूर जगरत हें!
बिना जतन के बेाम जइसे
इहाँ उहाँ बगरत हें!
एक हाथ खीरा के लबरा
नौ हाथ बीज बतइया!
बिना गुड़ के बस बातन म
लाड़ू सिरिफ बंनइया!
करम धरम के सत्याबनाशी
नीत न्यारय समझावत हें!