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"सबके मुड़ पिरवाथें / बुधराम यादव" के अवतरणों में अंतर

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सब नवा नवा भर गोठियाथें
 
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हंसिया कुदरी घर खेत कती
 
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बाबू साहेब अउ हवलदार
 
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पउवा बोतल कुकरा बोकरा
 
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सौ पचास रूपिया म!
 
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अउ गहना-गुरिया म!
 
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पैसा वाले मन गरीब के  
 
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नकटा बुचुवा मारे कूटे
 
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लोफड़ लंपट छल परपंची
 
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लोभी लुच्चाछ आगू!
 
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पंच कउन सरपंच कउन
 
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जनपद जिला पंचाइत!
 
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गांव ठाँव के हित सेती* बर
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एक ठन जबर सिका इत!
 
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नोट म बोट सके ले खातिर
 
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गंजहा भंगहा घूमय!
 
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गहना गुरिया भड़वा बरतन
 
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के कीमत म झूमय !
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मंदिर स्कूल पंचइत भवन म
 
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जुआ सट्टा खेंलंय !
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अपन सब सिरवाके लइकन
 
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मन बर पाप सके लंय !
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असली सपूत हें गिने चुने
 
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जे गाँव के लाज बचावत हें!
 
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बिगड़त हें मोटियारी नोनी!
 
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पंचाइत अउ का सुसाइटी
स्कूल का आंगन बारी के !
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कु छ सढ़वा बन कुछ हरहा* कस
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जकला भकला मन रहिन कहाँ
 
जकला भकला मन रहिन कहाँ

03:01, 28 अक्टूबर 2016 के समय का अवतरण

अब नवा जमाना के लइका
सब नवा नवा भर गोठियाथें
हंसिया कुदरी घर खेत कती
जाये खातिर बर ओतियाथें!
बाबू साहेब अउ हवलदार
पढ़ लिख के कइ झन होवत हें!
कइयों झन के करतूत देख
दाई ददा मन रोवत हें!
काम कमाई बिन कौड़ी भर
सूट बूट झड़कावत हें!
अब के लइका मन के होथे
ऊंच पूर कद काठी।
पन नइ जानय अखरा का ये
अउ भांजे बर लाठी!
रतिहा भर म राजनीति के
होथें जबर जुवारी!
पंचपति, सरपंच पति बन
लक्ष्मीपति पुजारी!
होटल म खावब अउ मोटर म
बस चलब सुहावत हें।

राजनीति के ओट म अइसन
नगरा नाचे लागिन!
तइहा के सोये राक्वछस मन
लागत हे फेर जागिन!
पउवा बोतल कुकरा बोकरा
सौ पचास रूपिया म!
लुगरा पोलखा घोतिया पटकू
अउ गहना-गुरिया म!
पैसा वाले मन गरीब के
नीयत घलव डोलावत हें!

नकटा बुचुवा मारे कूटे
चोर उचक्का डाकू!
लोफड़ लंपट छल परपंची
लोभी लुच्चाछ आगू!
भरे सभा म बइठे खुरसी
मच मच के गोठियाथें!
चमचा भरंय हुंका रू ऊपर
ले ताली पिटवाथें!
अपन नफा के सिरिफ गोठ ल
जानत अउ जनावत हें!

पंच कउन सरपंच कउन
जनपद जिला पंचाइत!
गांव ठाँव के हित सेती बर
एक ठन जबर सिका इत!
नोट म बोट सके ले खातिर
घर पहली सिरवाथें!
जीत गइन तौ पांच बरिा ले
सबके मुंड़ पिरवाथें!
मरहा-खुरहा-दुबरहा के
हक ल सक ल पचावत हें!

गली गुड़ी अऊ हाट बाट म
गंजहा भंगहा घूमय!
गहना गुरिया भड़वा बरतन
के कीमत म झूमय!
मंदिर स्कूल पंचइत भवन म
जुआ सट्टा खेंलंय!

अपन सब सिरवाके लइकन
मन बर पाप सके लंय!
असली सपूत हें गिने चुने
जे गाँव के लाज बचावत हें!

आगी खाके अंगरा उगलंय
अउ उधम मचावंय घूम घूम!
चिमटी भर ओनहा कपड़ा म
इन नाचंय गावंय झूम झूम!
घर घर म टी.व्ही.टेप देख सुन
एक एक ले अनहोनी!
टूरा टनका के का कहिबे
बिगड़त हें मोटियारी नोनी!
चोंगा डब्वा तो ठौर ठौर
अनसुरहा कस बोरियावत हें!

जेकर हाथ लगाम थमायेन
घोड़ा नइ कबूवावंय!
न काठी ले ऐंड़ लगावंय
न कोड़ा चमकावंय!
अंधवा कनवा खोरवा लुलुवा
अउ डोकरा डोकरी के!
सुख सुविधा ल हवंय डकारत
जइसे सब पोगरी के!
अपन भितिया खदर-कुरिया
काया कलप करावत हें!

बदनाम घलव हें नाव बिचारी
मितानिन संगवारी के!
पंचाइत अउ का सुसाइटी
स्कूल का आंगन बारी के!
कु छ सढ़वा बन कुछ हरहा कस
मौका पाके ओसरावत हें!
कुछ रूप रंग म बउराये
कुछ चारा चर पगुरावत हें!
बइठे जउने डारा अड़हा
निरदइ असन बोंगियावत हें!

लखनउ दिल्लीर का कानपुर अब
खोर-गिंजरा मन बर पारा!

जकला भकला मन रहिन कहाँ
निच्च़ट सिधवा अउ बिचारा!
राज राज म किंजर बुलके
सीख गइन दुनियादारी!
खपरा ले लेंटरहा खातिर
बेचत हावंय कोला बारी!
दू चार आना मनो लगथें
बांचे कइ नाव धरावत हें!